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लेखनी प्रतियोगिता -05-Apr-2023 "उम्मीद"

     उम्मीद
बिखर जाता हूं कभी
कभी मैं टूट जाता हूं
निराशा के भंवर में
कभी मैं डूब जाता हूं
हवा से बात करने पर
हवा भी उड़ा देती है
जो हमनवां कहती हैं
वो हाथ छुड़ा लेती है
जिंदगी बवाल लगती है
यूं जीना मुहाल करती है
मगर कोई है जो राह दिखाती है
दिलासा देती है जीना सिखाती है
यकीं दिलाती है जिंदगी आसान है
ये उम्मीद ही है जो जीने का सामान है
उम्मीदों के बल पर अरमान पलतें है
उम्मीदों के पांव पर सपने चलते हैं
उम्मीद से ही उम्मीद रखो कोशिशें पुर असर होगी
उम्मीदें ही होंसला देगी गर मंज़िल पर नज़र होगी
उम्मीद का दामन थामकर चलते जाओ काम पर
कामयाबी मिलेगी यूं 'राही' के दुनिया को ख़बर होगी


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5 Comments

Gunjan Kamal

09-Apr-2023 09:03 PM

बहुत खूब

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Punam verma

06-Apr-2023 08:47 AM

Very nice

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Abhinav ji

06-Apr-2023 08:07 AM

Very nice 👌

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